Saturday, November 5, 2011

"अतिथि देवो भवः"

                                  "अतिथि देवो भवः"
"अतिथि देवो भवः" आमिर खान द्वारा विज्ञापन में कहा गया यह वाक्य शायद आज के वर्त्तमान परिदृश्य से विलुप्त होता जा रहा है. इस विज्ञापन द्वारा हमें हमारे सभ्यता और संस्कृति के उस रूप से अवगत कराने की कोशिश की गयी है, जिसे आज हम भूलते जा रहे है. हमारे भारतीय समाज में अतिथि को भगवान के दर्जे से नवाज़ा जाता रहा है. पौराणिक कथाओं से लेकर पंचतंत्र की कथाओं में इसकी चर्चाएँ होती रही है. मगर आज की वर्त्तमान स्थिति इसके बिलकुल उलट हो चुकी है, जहाँ "अतिथि देवो भवः" जैसे वाक्य का कोई मोल नहीं रह गया है. हमारे भारतीय संस्कृति की यह एक ऐसी पहचान है जो इसे सुनहरी  छवि प्रदान करती है. 
मगर यह छवि उस वक़्त शर्मशार हो गयी जब भारत के अनाथाश्रम की मदद करने के नेक इरादों से फ्रांस से आये पर्यटकों के साथ धोखाधड़ी का खेल खेला गया. बिहार के बोध गया और दक्षिण भारत में अनाथ बच्चों के स्कूल को सहायता देने के बाद जब ये पर्यटक दिल्ली पहुंचे तब एक ऑटोचालक ने उन्हें धोखाधड़ी के जाल में फंसा दिया. बीच रास्ते में ऑटोचालक के अधिक किराये मांगने पर ऑटो से उतरे उन पर्यटकों की आखों में धूल झोकते हुए ऑटोचालक उनके दो कैमरा और जरुरी दस्तावेज़ लेकर फरार हो गया.
ऐसी यह कोई पहली घटना नहीं है जब पर्यटकों के साथ इस तरह की कोई बदसलूकी की गयी हो. आये दिन अख़बारों और न्यूज़ चैनलों की सुर्ख़ियों में ऐसी खबरे देखने को मिल जाती है. पर्यटकों को लुटने के साथ ही महिला पर्यटकों के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ जैसी घटनाये भी आम बात होती जा रही है. 
भारत जिसे संस्कृति के मामले में अमीर देश माना जाता है; जिसमे अनेक रंग की दुनिया समाहित है.इस नज़रिए से भारत पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र रहा है. हर वर्ष दुनिया के तमाम कोनों से पर्यटकों की टोली स्वयं को इस रंग में रंगने की चाहत लिए भारत आती है. मगर पर्यटकों के साथ धोखाधड़ी खासकर महिला पर्यटकों के साथ छेड़छाड़ की वारदात भारत के गौरवपूर्ण छवि को शर्मशार कर देती है.
हाल ही में भारतीय पर्यटन मंत्रालय ने यह स्वीकार किया है कि ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है, जो भारतीय संस्कृति पर एक धब्बा है. इसके चलते पर्यटन उद्योग खासा प्रभावित हो रहा है. महिला पर्यटकों के साथ हो रही छेड़खानी एवं बलात्कार जैसी अनैतिक घटनाओं ने अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर सवाल उठाने का कम किया है. 
राजस्थान, दिल्ली, मुंबई, गोवा जैसे मुख्य पर्यटन स्थल इन घटनाओं का केंद्र बना हुआ है. इन शहरों में मुख्य रूप से फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मन ,अमेरिका,इटली,ऑस्ट्रेलिया ,कनाडा,बंगलादेश और जापान जैसे देशों के पर्यटक आते है. इसी दौरान या कहिये नए साल एवं क्रिसमस पार्टी के दौरान गोवा में ऐसी घटनाओं को सबसे अधिक अंजाम दिया जाता है. राजस्थान में इन घटनाओं कि बढती संख्या के कारण इसे "टूरिस्ट रेप कैपिटल ऑफ इंडिया" तक घोषित कर दिया गया है. 
अमेरिका और ब्रिटिश सरकार ने तो अपने नागरिकों को गर्मियों के अवकाश में भारत न जाने की साफ चेतावनी भी देनी शुरु कर दी है. साथ ही विभिन्न " ट्रेवल गॉइड बुक" में महिलाओं को यह सलाह दी जाने लगी है की भारत यात्रा के दौरान लम्बे और ढीले कपड़े पहने तथा वैसे कपड़ों से बचे जो लोगो को आपकी ओर आकर्षित करती हो. इससे साफ पता चलता है, कि विदेशी पर्यटकों के साथ ही वहां की सरकार भी इसके प्रति सचेत हो गयी है.

भारत में हर वर्ष लगभग 5 मिलियन पर्यटक आते है. उसके बीच ऐसी घटनाओं की बढती संख्या पर लगाम लगाना भारतीय पर्यटन विभाग के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है . मगर ऐसा कहना भी गलत होगा कि सरकार हाथ में हाथ धड़े बैठी है. सरकार इस ओर गंभीरता दिखाते हुए अनेक योजनाएं बना रही है. जैसे रिटायर फौजियों को मुख्य पर्यटक स्थलों पर तैनात करने की योजना बनाई गयी है. मगर यह सारी योजनाएं सिर्फ कागज़ी रूप ही ले सकी है,इसे अभी तक कार्यरूप नहीं दिया जा सका है. हम इसके लिए सिर्फ सरकार को ही दोषी नहीं करार दे सकते .भारत की सांस्कृतिक पहचान पर इन वारदातों की चढ़ती धूल को मिटाने  के लिए सरकार के साथ हमें भी अपना योगदान देना होगा और एक बार फिर "अतिथि देवो भवः" को अपने ज़ेहन में लाना होगा.

3 comments:

  1. han aj kal to ghor kalyug hai. pahle jaisi bat kaha rahi.par sach ye bhi hai ki sudhar ke liye hame hi aage aana padega.

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  2. Hum yuvao ko pahal karni hogi...bina laag lapet ke hume nihswarth bhav se aagantuk videshi paryatko ko aanandiit karne wale anubhavo ke sath vida karna chahiye taki ve baar-baar aaye aur desh ko ek achhi videshi aay innse prapt ho.Hume har star par sudhar ki gunjayiish rakhni hogi.

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  3. abhi ek report bhi aayi thi ki india ahne vale tourist me tajmahal jane valo ka percent kam hone laga hai. jisme kai karan to hai hi. unme ek karan tourist ke sath galat beheavior bhi hai.

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