Wednesday, December 21, 2011

बिहार गाँव या शहर???


                                                 बिहार गाँव या शहर???
बिहार में हो रहे बदलाव और विकास के कारण आज हर क्षेत्र में इसकी अलग पहचान बन चुकी है l  राजनीति से लेकर फिल्म जगत में बिहार ने अपना परचम लहराया है l  मगर आज अपने ही देश में मैं  कही भी जाती हूँ तो लोग इसे गाँव ही कहते है l  इसकी राजधानी की ही बात क्यों न आए उसे भी महज़ गाँव के रूप में ही संबोधित किया जाता है l  हालाँकि गाँव शब्द से किसी नकरात्मकता का बोध नहीं होता l  भारत को गाँव का देश कहा जाता है l  गाँव हमारी संस्कृति की धरोहर  है l मगर लोगो द्वारा बिहार को गाँव कहने का अर्थ यह न होकर उसे एक पिछड़ा प्रदेश मानना है l दरअसल उन्हें पता ही नहीं गाँव है क्या? उनका भी क्या दोष ! शुरु से शहरों में पले बड़े उन लोगो ने गाँव देखा कहा ? तो चलिए मैं  उन्हें बताती हूँ मेरा बिहार या उनकी भाषा में मेरा गाँव है क्या!
 यहाँ के लोगो के भी क्या कहने अंगीठी की लिट्टी चोखा खाने रिवोल्विंग रेस्टूरेंट जाते है l  वो भी क्या करे उन्हें खुली हवा में लिट्टी चोखा खाने की आदत जो है l  सोचा चलो ऊँची बिल्डिंग पर घुमते हुए रिवोल्विंग रेस्टूरेंट में ही चला जाये, जहाँ खाने के साथ-साथ शहर के नज़ारे का भी लुत्फ़ उठा लिया जाये l
हमें तो आदत है घर की नर्म रोटियों की, मगर DOMINOZ के आने से हमें वहां की रोटियां अरे नहीं "पिज्जा" खाना पड़ता है l  इन CCD (Cafe  coffe  day ) का क्या करें जिनके कारण हमें चाय छोड़कर coffe की चुस्कियां लगानी पड़ती है l  अब जरा यहाँ के मॉल या बिग बाज़ारों को ही लें, लोग ट्रोलियाँ लेकर घुमते नज़र आयेंगे l  उन ट्रोलियाँ में टैग लगे फल और सब्जियां होती हैं! जगह की किल्लत तो यहाँ भी है इसलिए यहाँ एक ही छत के नीचे सब्जी से लेकर कपडे धोने के साबुन तक खरीदने पड़ते है. यहाँ तक कि ढाबे भी नदी पर बनने लगे है इस "गाँव" में, जिसे " floating resturent " कहते है. वैसे भी हमें नाव में घुमने कि आदत तो है ही सोचा कि नाव से होटल जाने से अच्छा है नाव पर ही खाने का इंतजाम  कर लिया जाये l  अब तो यहाँ  भी लोग चश्मा लगाकर मूवी देखने के आदी होने लगे हैं l जी हाँ एक विशेष प्रकार के मोटे-मोटे काले चश्मे जिसका पावर इतना होता है कि उसे लगा लेने पर स्क्रीन का दृश्य ठीक आपकी आँखों के सामने घटित होता दिखाई देता है - वही 3D मूवी .
अब और क्या बताऊँ मैं अपने गाँव की बदहाली! सुना है, अब यहाँ खुलने वाले है 5 स्टार होटल और घुमने वाले हैं लोग बुलेट ट्रेन में l
बस कुछ ऐसा है अपना "बिहार गाँव". जहाँ सिर्फ ये चंद मेट्रोपोलिटन सुविधाएँ ही मौजूद हैl अब अगर इसे गाँव कहते है मतलब उनके नज़रिए में पिछड़ा प्रदेश, तो मुझे गर्व है कि मैं इस गाँव की निवासी हूँ l 

5 comments:

  1. ek asli bhartiya gaon ka hi hota h..gaon bharat ki atma h..baki aaj delhi aur mumbai to pashchatya sanskrrti se udhar liye hue shetr malum hote h...mall aur multiplex mai jane wale ye bhool jate h unki vastvik pehchan kaha se hai..mera gaon mahan...bihar ki rajdhni patna ko salam..

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  2. गाँव का होना सबसे ज़्यादा गर्व की बात है। शहर के लोग गाँव के अति-प्रतिभाशाली लोगों से घबराते हैं, इसलिए अपनी नाकाबिली छुपाने के लिए गाँव के लोगों को अपने पूर्वाग्रह के ज़रिये तथा कथित नीचा दिखाने का असफल प्रयास करते हैं।

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  3. bahot acha jawab iti un sab k liye jo aisa bolte hai....!!

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  4. acha h achi koshish h apne views sbk samne lane ki jo log gaon ko pichda y waha k logo gawar smjhte h wo yeh bhul jate h ki wo b kahin n kahin kisi n kisi gaon s juge hue h shar to ab bane h shar bane s phle sb gaon hi tha....

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  5. jaisa ki aapne likha hai log bihar ko gawn ke rup me pichra pradesh kahte hai, vo log sayad apne ghar se bahar nikal kar duniya nahi dekhe hai.unki mansikta abhi bahut hi choti hai...meri bhi kuch bihari friends hai or maine bhi khud unpar aise hamle hote dekha hai......aapne is post ke zariye bahut hi sahi bat kahi hai...........

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