स्मरण शक्ति बढ़ाता कैप
मनुष्य और विज्ञानं की दोस्ती भी अजीबोगरीब है. विज्ञान की दुनिया में मानव कभी कभी ऐसे चमत्कार कर देता है जो किसी कल्पना के यथार्थ में बदलने से कम नहीं होता. या फिर कहे कि एक फैंटसी की दुनिया में ले जाने जैसा होता है. कभी चाँद में होटल बनाने का दावा करता है तो कभी मंगल पर पानी खोजने का. मगर इन दावों को कई रूप में सच भी साबित करता है. आज अप्राकृतिक रूप से संतान पैदा करना किसी चमत्कार से कम नहीं मन जा सकता.
इन्हीं चमत्कार के दौर में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टोपी बनाने का दावा किया है, जो मनुष्य की स्मरण शक्ति बढाती है.मास्टर साहब के रट-रट कर पहाड़ा याद करवाने और याद न हो पाने पर डंडे खाने से लगता है अब बहुत जल्दी छुटकारा मिलने वाला है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको ऐसी इलेक्ट्रिकल कैप बनाने में कामयाब रहे है, जो मस्तिष्क के एक खास भाग में बिजली के मामूली झटका देकर विभिन्य चीजों को याद करने की क्षमता बढाती है. ब्रिटेन में १५ लोगों पर इसका सफल परीक्षण के बाद वैज्ञानिकों ने इसका दावा किया है. इस इलेक्ट्रिकल कैप को ४० के दशक में मरीज़ को बिजली के तेज़ झटके देकर पुरानी बातें याद दिलाने के लिए प्रयोग में लायी जाने वाले 'इलेक्ट्रोशौक थेरेपी' का आधुनिक संस्करण माना जा रहा है.हालाकिं वैज्ञानिकों का कहना है कि इलेक्ट्रिकल कैप में बहुत ही कम तीव्रता क झटके दिए जाते हैं, जिससे मनुष्य के मस्तिष्क पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
वैज्ञानिकों का यह प्रयास वैसा ही प्रतीत होता है जैसा hollywood की एक फैंटेसी पर आधारित फिल्म में एक बच्चे के स्मरण शक्ति को इतना तेज़ दिखाया गया था की वह एक किताब को चंद मिनटों में पढ़ कर याद कर लेता है. बस अंतर इतना ही है कि वास्तविक जीवन में वैज्ञानिक इस युक्ति को अपनाने के लिए इलेक्ट्रिकल कैप का सहारा ले रहे है.
बहरहाल वैज्ञानिक जिस भी माध्यम से इस युक्ति को हासिल करे मगर वस्तविक जीवन में मनुष्य के मस्तिष्क के साथ इतनी बड़ी छेड़खानी कितना सही है और कितना गलत इसपर विचार करना बहुत आवश्यक है. हालाकिं शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे मानव शरीर में कोई नकरात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.मगर अप्राकृतिक रूप से शरीर कि कार्यक्षमता या रुपरेखा में विकास करने से कहीं न कहीं शरीर को नकरात्मक प्रभाव झेलना पड़ता है. अब चाहे खुबसूरत दिखने के लिए करायी गयी प्लास्टिक सर्जरी हो या मोटापा कम करने के लिया की गयी सर्ज़री. इन मामलों में चिकित्सकों का भी मानना होता है कि शारीर से कि गयी छेड़खानी से शरीर कि आंतरिक क्रियाएँ प्रभावित होती है और उनका सुझाव होता है कि अत्यंत गंभीर स्थिति में ही इसका सहारा लेना चाहिए.इलेक्ट्रिकल कैप से दिमाग के एक खास हिस्से में एक खास मार्ग से बिजली के झटके दिए जाते हैं. वैज्ञानिक कुछ हद तक यह भी मानते है कि अगर इस मार्ग को उलट दिया जाये तो मस्तिष्क कोशिकाओं कि क्षमता घट जाती है और मनुष्य चीजें याद करने के बजाए उसे भूलने लगता है.
इसके आलावा भी इस उपकरण पर सवल खड़े हो सकते हैं. क्या यह उपकरण सिर्फ उन्हीं लोगों के स्मरण शक्ति बढ़ाने में सक्षम है, जिनका मस्तिष्क सामान्य रूप में क्रियाशील है. या फिर डिमेन्शिया या अल्जाइमर जैसी बिमारियों से ग्रसित लोगों कि भी स्मरण शक्ति बढाने में भी कारगर है. जिसमे रोगी के न्यूरोन्स शरीर के विभिन्न हिस्सों में सन्देश पहुचाने में असफल होते है. जिससे वे दैनिक दिनचर्या कि जरुरत यहाँ तक कि खुद का नाम भी भूल जाते हैं.यदि इलेक्ट्रिकल कैप इस ओर अपनी भूमिका निभाने में सक्षम है तो इसे मेडिकल जगत में एक अहम् क्रांति के रूप में देख जा सकता है.
मगर इसके दोनों पहलुओं को देखने के बात जो निष्कर्ष सामने आता है उससे तो यही लगता है कि यह कैप दुनिया को यांत्रिक बना देगी. प्राकृतिक परंपरा में इतना बड़ा बदलाव प्राकृतिक सौंदर्य की परिभाषा बदलने जैसा होगा. मनुष्य कि नैसर्गिक प्रवृति जिसके जरिये वह प्राकृतिक ढंग से चीजों से ज्ञान प्राप्त करता है, उससे तादाम्य स्थापित करता है वह यंत्रों कि कठपुतली बन कर रह जाएगी.....
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