Saturday, December 25, 2010

facebook ek mayajal

                                                                                 फेसबुक एक मायाजाल       
                 फेसबुक एक ऐसा मायावी शब्द बन चुका है जो काफी तेजी से हर किसी  के जेहन में समा रहा है. युवा पीढ़ी तो इसकी सबसे ज्यादा शिकार हुई है परन्तु बच्चें  और बूढ़े भी इसके मायाजाल से बच नहीं पाए है. फेसबुक सभी सोशल नेट्वर्किंग साईट को पीछे करते हुए लोंगो के सर चढ़ कर बोल रहा है. यह सिर्फ लोंगो के शौक तक सिमित नहीं रहा है बल्कि उनके जिंदगी का अहम् हिस्सा भी बन गया है .अपने जीवन के हर पल हर लम्हा को फेसबुक के ज़रिये पूरी दुनिया से बांटना फैशन बन चुका है. नए -नए दोस्त बनाना अपनी फ्रेंडलिस्ट में इजाफ़ा करना फैशन और प्रतियोगिता दोनों का रूप ले चुका है .
                                                      परन्तु जाने- अनजाने में शायद हम इस बात से वाकिफ  नहीं रहते है की इन अनजान दोस्तों के झूठे  बातों और वादों में कहीं हम अपने सच्चे दोस्त और अपनों के रिश्तों को अँधेरे में धकेल रहें है .कहीं न कहीं यह सोशल नेटवर्किंग साईट हमें हमारे असली सामाजिक दुनिया से दूर करने का कम कर रही है .हमारे जीवन के मूल उद्देश्य इसके मायाजाल में कहीं खो रहें हैं .यह बनावटी दुनिया हमें हमारे असली संसार से दूर ले जा रही है .

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