Monday, December 27, 2010

Golmal Hai Bhai Sab Golmal Hai







        

 गोलमाल है भाई सब गोलमाल है                                                                                                                                                           ''गोलमाल है भाई सब गोलमाल है''. अमोल पालेकर की फिल्म में दर्शाया गया यह गीत आज हमारे भारत के तात्कालिक स्थिति  में बिलकुल सटीक बैठता है. जहाँ देखो वहां गोलमाल हिं गोलमाल है .आदर्श आवासीय घोटाला हो या फिर २ जी स्पेक्ट्रेम हो या फिर कॉमनवेल्थ गेम्स हो सब जगह घोटालो का जाल सा बिछ गया है .भारत को  अब तक कृषिप्रधान देश , अनेकता में एकता का देश जैसे नामों से जाना जाता है , परन्तु अब इसे घोटालों के देश के नाम से भी जाना जा सकता है .सुबह अखबार के पन्नों पर निग़ाह डालने से पहले सोचना पड़ता है की कहीं आज भी किसी नए घोटाले से अवगत होना ना पड़े  . इन  घोटालों के महाचक्र में आम आदमी तो यह भी नहीं समझ पाता की कौन सा घोटाला किसने और कब किया . कुछ घोटालें तो इतने बड़े होते हैं की समझ  में ही  नहीं आता है  यह घोटाला हैं या घोटालों का बाप . परन्तु सबसे शर्मनाक बात तो इनके पीछे छिपे लोग हैं , जिनके कंधो पर देश की जिम्मेदारी है. जो कहीं न कहीं देश का प्रतिधिनित्व कर रहें हैं .जब यहीं लोग देश को बर्बाद करने पर उतारू हो जायेंगे तो हमारे देश का भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिखाई देगा . दुःख की बात तो यह है की इन लोंगो को कोई सज़ा भी नहीं मिलती. इन्हें तो अंदमान  निकोबार की जेल में ठूस देना चाहिए .

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